मंगल ये अवसर आंगण आयो जी - Jain Bhajan

मंगल ये अवसर आंगण आयो जी, प्रभुजी आयेंगे हमारी नगरी
भावों की चुनर ओढ आई शची, सौधर्म आये अलीगढ़ नगरी

हर्षित है वसुधा सारी खुशियाँ अपार है।
भक्ति में झूम रहा इन्द्र परिवार है।
सुरपति उत्सव कीना, शचि गीत गाये।
मंगलकारी प्रभु महोत्सव मनायें…
श्रद्धा सुमनों से सजी गई सिद्धपुरी… ॥१॥ प्रभुजी आयेंगे हमारी नगरी…

रोम रोम हर्षे है प्रभु आगमन से
पुष्प रतन वर्षा सुरपति करते।
भक्ति के रंग डुबे देखो नर नार है।
गूंज उठा नभ सारा प्रभु जयकार से…
आनन्द अमृत की छलक रही गगरी ॥२॥ प्रभुजी आयेंगे हमारी नगरी…

आत्मीय आमन्त्रण मधुवन से आया।
भावी ऋद्धि को सिद्ध प्रभु ने बुलाया।
निज प्रभुता को लख प्रभु बन जाओ।
तज मोह निद्रा चेतन अब जाग जाओ।
निज प्रभुता को लख प्रभु बन जाओ।
तज मोह निद्रा चेतन अब जाग जाओ।
पुण्यों के फल में पाई शुभ ये घड़ी… ॥३॥ प्रभुजी आयेंगे हमारी नगरी…


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